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________________ २४ श्री महावीर स्वामी - चरित ३५५ १ धूळकी बारिश बरसाकर उनको उसमें डुबो दिया । २ सूईके समान तीक्ष्ण मुखवाली कीड़ियाँ महावीरके शरीर पर लगा दीं। उन्होंने शरीरको छलनी बना दिया । ३ प्रचंड डाँस पैदा किये । उनके काटने से महावीर स्वामीके शरीर में से गायके दूध जैसा रक्त निकलने लगा । ४ ' उन्होंला ' पैदा कीं । वे प्रभुके शरीरपर ऐसी चिपक गई कि सारा शरीर उण्होलामय हो गया । ५ बिच्छू पैदा किये । उन्होंने तीक्ष्ण डंख मारे | ६ नकुल (न्योले ) पैदा किये। उन्होंने मांस काटा। ७ भयंकर सर्प पैदा किये । उन्होंने चारों तरफसे लिपटकर शरीरको कस लिया और फिर फन मारना आरंभ किया । ८ चूहे पैदा किये । वे प्रभुके शरीरको काटकर उसपर पेशाब करने लगे । ९ मदोन्मत्त हाथी पैदा किया । उसने मुँडमें पकड़ पकड़कर महावीरको उछाला । १० हथिनी पैदा की । उसने भी बहुत प्रहार किये । ११ फिर उसने एक भयंकर पिशाचका रूप धारण किया । १२ फिर उसने वाघका रूप धरा । १३ प्रभुके माता पिता पैदा कर, उनसे करुण त्रिलाप कराया । १४ फिर एक छावनी बनाई । उसमेंके लोगोंने महावीर स्वामीके पैरोंके बीचमें आग जलाई और दोनों पैरोंपर बर्तन रखकर रसोई बनाई । १ - एक प्रकारकी कीड़ी। गुजरातीमें इसको घीमेल कहते हैं । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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