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________________ २२ श्री नेमिनाथ-चरित २५९ अग्निकुमार देव होगा और सारी द्वारकाको और यादवोंको जलाकर भस्म कर देगा । तुम जंगलमें अपने भाई जराकुमारके हायसे मारे जाआगे।" बलदेवके सिद्धार्थ नामका सारथी था। उसने बलदेवसे कहा:--" स्वामिन् ! मुझसे द्वारकाका नाश न देखा जायगा। इसलिए कृपाकर मुझे दीक्षा लेनेकी अनुमति दीजिर ।" बलदेव बोले:-"सिद्धार्थ ! यद्यपि तेरा वियोग मेरे लिए दुःखदायी होगा; परन्तु मैं शुभ काममें विघ्न न डालूँगा। हाँ तपके प्रभावसे तू मरकर अगर देवता हो तो मेरी मदद करना।" उसने यह बात स्वीकार की और दीक्षा ले ली। __भगवानके इतना परिवार था वरदत्तादि ग्यारह गणधर, १८ इजार महात्मा साधु, चालीस हजार साध्वियाँ, ४ सौ चौदह पूर्वधारी, १५ सौ अवधिज्ञानी, १५ सौ वैक्रिय लब्धिवाले १५ सौ केवली, १ हजार मनःपर्ययज्ञानी, ८ सौ वादलब्धिवाले, १ लाख ६९ हजार श्रावक और ३ लाख ३९ हजार साध्वियाँ। इसी तरह गोमेध नामका यक्ष और अंबिका नामकी शासनदेवी थे। विहार करते हुए अपना निवार्णकाल समीप जान प्रभु रैवतगिरि (गिरनार ) पर गये और वहाँ ५३६ साधुओंके साथ पादोपगमन अनशन कर आषाढ शुक्ला ८ के दिन चित्रा नक्षत्रमें मोक्ष गये । इन्द्रादि देवोंने निवार्णकल्याणक मनाया। राजीमती आदि अनेक साध्वियाँ भी केवलज्ञान प्राप्तकर मोक्षमें गई । राजीमतीकी कुल आयु ९०१ वर्षकी थी। वे ४ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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