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________________ २२ श्री नेमिनाथ-चरित २४३ शादी करनेके लिए उन्हें कितना मनाया गया मगर वे राजी न हुए। श्रीकृष्णके अनेक रानियाँ थीं। एक दिन वे सभी जमा हो गई और अरिष्टनेमिको छेड़ने लगीं । एक बोली:-"अगर तुम पुरुष न होते तो ज्यादा अच्छा होता।" दूसरीने कहाः" अजी इनके मन लायक मिले तब तो ये शादी करें न ?" तीसरी बोली:-" बिचारे यह सोचते होंगे कि, बहू लाकर उसे खिलायँगे क्या ? जो आदमी हाथपर हाथ धरे बैठा रहे वह दुनियामें किस कामका है ?" चौथीने उनकी पीठपर मुका मारा और कहा:-" अजब गूंगे आदमी हो जी ! कुछ तो बोलो। अगर तुम कुछ उद्योग न कर सकोगे तो भी कोई चिंताकी बात नहीं है। कृष्णके सैकड़ों रानियाँ हैं। वे खाती ‘पहनती हैं तुम्हारी स्त्रीको भी मिल जायगा। इसके लिए इतनी चिंता क्यों ?" पाँचवींने थनककर कहा:-" माँ बाप बेटेको ब्याहनेके लिए रात दिन रोते हैं। मगर ये हैं कि इनके दिल पर कोई असर ही नहीं होता । जान पड़ता है विधाताने इनमें कुछ कमी रख दी है।" छठीने चुटकी काटी और कहाः"ये तो मिट्टीके पुतले हैं।" ___ अरिष्टनेमि हँस पड़े। इस हँसीमें उल्लास था, उपेक्षा नहीं । सब चिल्ला उठी,-'मंजूर !' 'मंजूर!' एक बोली:-"अब साफ कह दो कि शादी करूँगा" दूसरीने कहा:-"नहीं तो पीछेसे मुकर जाओगे।" तीसरीने ताना माराः-"हाँजी बे पैंदेके आदमी हैं । इनका क्या भरोसा ?" चौथी बोली:-"माता Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034871
Book TitleJain Ratna Khand 01 ya Choubis Tirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKrushnalal Varma
PublisherGranth Bhandar
Publication Year1935
Total Pages898
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size96 MB
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