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(क)
तीर्थंकरों और दूसरे महापुरुषोंके चरित्रोंका वर्णन पैंतालीस आगम शास्त्रोंमें, उनकी नियुक्तिमें, चूर्णिमें, टीकाओंमें और वसुदेव हिण्डी वगैरहमें आता है। उसी परसे कलिकाल सर्वज्ञ श्री हेमचन्द्राचार्यने विस्तृत रूपसे त्रिषष्टि शलाकापुरुषचरित्रकी मनोहर रचना की है। इस त्रिषष्टिके पहले भी अनेक चरित्र और कथा ग्रन्थ लिखे गये हैं परंतु प्रायः वे सभी प्राकृत और मागधी भाषामें ही अधिकतर उपलब्ध होते हैं। __ पैंतालीस आगमशास्त्र-जो जैनोंके सर्वस्व कहे जाते हैंप्राकृत-मागधी भाषामें ही श्री पूर्वाचार्योंने रचे हैं। इसका कारण स्पष्ट है कि उक्त आगम शास्त्रोंको अर्थ रूपसे श्रीतीर्थंकर भगवान कहते हैं और सूत्ररूपसे श्रीगणधर महाराज रचना करते हैं । " अत्यं भासइ अरहा, सुत्तं गुंथति गणहरा निउणा " यह रचना केवल लोकोपयोगी बनानेके लिये, हरेक सुगमतासे जान सके इस पवित्र इरादेसे, की गई हैं। शास्त्रोंमें आता है कि,
वालस्त्रीमन्दमूर्खाणां, नृणां चारित्रकांक्षिणाम् ।
अनुग्रहार्थ तत्त्वज्ञैः, सिद्धान्तः प्राकृतः कृतः ॥ बाल जीवोंके, स्त्रियोंके, मन्द बुद्धिवालोंके अपंडित जनोंके, आर चारित्रकी आकांक्षा रखनेवालोंके अनुग्रहार्थ-भलेके लिये तत्त्वज्ञोंने सिद्धान्तोंको प्राकृत-मागधी भाषामें रचा है। इस प्रमाणसे स्पष्ट प्रतीत होता है कि उदार चेता पूर्व महापुरुषोंने उस समयमें प्रचलित देश भाषामें ही शास्त्रोंको रचकर लोकोपकार किया है।
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