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________________ जैनज्योतिर्ग्रन्थसंग्रहे उदयप्रभदेवीयायामारम्भसिद्धौ तृतीयविमर्श कार्यद्वारम् । ६७ मिथुन वृष कर्क मेष सिंह कन्या मिथुन तुला सिंह धनुः तुला वृश्चिक । मीन धनुः । मेष मकर । वृष श्रेष्ठानि नवपंचमानि कुंभ | मीन कर्क वृश्चिक कन्या मकर एतानि मध्यमानि तुला ३ । ११ | सिंह वृष वृश्चिक कन्या शुभ मिथुन धन तुला कक वृष मकर वृश्चिक सिंह मिथुन धन कन्या कर्क मीन | मकर उभयसप्तमं | दशमचतुर्थश्रेष्ठतरं || दशमचतुर्थश्रेष्ठं १०४ १० तुला वृष कुंभ मेष | मकर वृष वृश्चिक कर्क मेष मिथुन मीन मिथुन धन वृश्चिक सिंह सिंह वृष कर्क मकर मेष तुला तुला सिंह कुंभ कन्या मिथुन धनुः कन्या कन्या । मीन । मीन धन || कुंभ | वृश्चिक गुरुशिष्यवयस्यादेने वधूवरयोः पुनः ॥ २४ ॥ द्वयेषु गुरुशिष्यादेः मेष । कर्क त्रिनाडीचक्रस्थापना Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034864
Book TitleJain Jyotirgranth Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKshamavijay
PublisherMulchand Bulakhidas Shah
Publication Year1938
Total Pages160
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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