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जदत्तजी गणधर १ तिनके पट्ट पर श्री हरिदनाचार्य २, तिनके पद ऊपर श्री आर्यसमुह ३, तिनके पट्ट ऊपर श्री केशी कुमारजी हुए है, जिनोंने स्वेतंबिका नगरीका नास्तिकमति प्रदेशी नामा राजेकों प्रतिबोधके जैनधर्मी करा, और श्रीमहावीरजीके बमे शिष्य इंझनूति गौतमके साथ श्रावस्ति नगरोमें श्री केशी कुमार मिले तहां गौतम स्वामीके साथ प्रश्नोत्तर करके शिष्योंका संशय दूर करके श्री महावीरका शासन अंगीकार करा तथा श्रीपार्श्वनाथजीके संतानोमेंसे कालिक पुत्र १ मैथिाल २ आनंदरक्षित ३ काश्यप ४ ये नामके चार स्थिविर पांचसौ सा. धुयोंके साथ तुंगिका नगरीमें आये तिस समयमें श्री महावीर नगवंत इंश्नूति गौतमादि साधुयोंके साथ राजगृह नगरमें विराजमान थे, तथा साकेतपुरका चंपाल राजा तिसकी कलासवेश्या नामा राणी तिनका पुत्र कलासवैशिक नामे ति. सने श्री पार्श्वनाथके संतानीये श्रीस्वयंप्रनाचा. र्यके शिष्य वैकुंगचार्यके पास दीदा लोनी. पीले
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