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३४ चूंचवाले दंशोने बहु पीमा करी ३ तीक्ष्ण चूंच. वालो घीमेल बनके खाया ४ बिबु ५ सर्प ६ ननल ७ मूसे के रूपोसें मंक मारा और मांस नोची खाधा. दाश्री ए हथणी १० बनके झूम दांतका घाव करा पग हेठ मर्दन करा तोनीनगवंत वज झपन्न नाराच नामक संहनन वाले होनेसे नही मरे. पिशाच बनके अहहहास्य करा ११ सिंह बनके नख दामायोंसे बिदारया, फामया १२ सिदार्थ त्रिशलाका रूप करके पुत्रके स्नेहके बिलाप करे १३ स्कंधावारके लोक बनाके नगवंतके पगों उपर हांझी रांधी १४ चमालके रूपसें पंखियोंके पंजरे नगवंतके कान बाहु आदिमे लगाये तिन पदीयोंने शरीर नोंचा १५ पीने खर पवनसें नगवंतकों गेंदकी तरे नहाल के धरती ऊपर पटका १६ पीछे कलिका पवन क. रके नगवंतकों चक्रकी तरे घुमाया १७ पीले चक्र मारा जिससे नगवंत जानु तक नूमिमे धस गये १८ पीने प्रनात विकुर्वी कहने लगा विहार करो. नगवंततो अवधिज्ञानसे जानतेथे के अबीतोरा
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