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त्रिदै १ए पीजे देवांगनाका रूप करके हाव नावादि करके नपसर्ग दीना २० इन वीलों नपसगाँसें जब नगवंत किंचित् मात्रन्नी नही चले तब संगमदेवताने मास तक लगवंतके साथ रहके नपसर्ग करे, अंतमें थकके अपनी प्रतिज्ञासे ब्रष्ट होके चला गया. अनार्य देशमे नगवंतको बहुत परीसह नपसर्ग हुए. अंतमे दोनो कानोंमें गोवालीयोंने कांसकी सलीयो माली तिनसे बहुत पीमा हुइ सा मध्यम पावापुरी नगरीमे खरकवैद्य सिझार्थ नामा बाणियाने कांसकी सलीयों कानोमेंसे काढी जगवंत निरुपक्रमायुवाले थे इससे उपसर्गोमे मरे नही, अन्य सामान्य मनुष्यकी क्या शक्तिहै, जो इतने उख होनेसें न मरे. विशेष इनका देखना होवेतो आवश्यक सूत्रसें देख लेना.
प्र. -श्रीमहावीरस्वामीको उपसर्ग हो. नेका क्या कारण था.
न.-पूर्व जन्मांतरोमें राज्य करणेसें अत्यंत पाप करे वे सर्व इस जन्ममेही नष्ट होने चाहिये
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