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दर्शना था.
प्र. ३१-श्रीमहावीरस्वामी अपने पिताके घरमें मूलसें त्यागी वा नोगी रहेथे.
न.-श्रीमहावीरजी २८ अगवीस वर्ष तक तो नोगी रहे पीने माता पिता दोनो श्री पार्श्व. नाथजी २३ में तीर्थंकरके श्रावक श्राविका थे. वेह महावीरजीकी २८ मे वर्षकी जिंदगीमें स्वर्गवासी हुए पीछे श्री महावीरजीने अपने बड़े नाइ राजा नंदिवईनकों दीक्षा लेने वास्ते पूग, तब नंदिवईनने कहाकी अबहीतो मेरे मातापिता मरेहै और तत्कालही तुम दीक्षा लेनी चाहतेहो यह मेरेको बमा नारी वियोगका सुख होवेगा, इस वास्ते दो वर्ष तक तुम घरमे मेरे कदनेसे रहो. तब महावीरजी दो वरस तक साघको तरे त्यागी रहै.
प्र.३३-महावीरजीका बेटीका किसके साथ विवाह कराया.
उ.-दत्रियकुंमका रहने वाला कौशिक गोत्रिय जमालि नामा क्षत्रिय कुमारके साथ वि
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