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वाह करा था.
प्र. ३३-श्रीमहावीरजीकों त्यागी होनेका क्या प्रयोजन था.
न-सर्व तीर्थंकरोका यही अनादि नियम हैकि त्यागी होके केवलज्ञान नत्पन्न करके स्व परोपकारके वास्ते धर्मोपदेश करना. तीर्थंकर अपने अवधिज्ञानसे देख लेतेहैकि अब हमारे सं. सारिक नोग्य कर्म नही रहाहै और अमुक दिन हमारे संसार गृहवास त्यागनेकाहै तिस दिनही त्यागी हो जातेहै. श्रीमहावीरस्वामोको बाबतन्नी इसी तरें जान लेनां.
प्र. ३४-परोपकार करनां यह हरेक म. नुष्यकों करनां नचितहै.
उ.-परोपकार करनां यह सर्व मनुष्योंकों करना उचितहै, धर्मी पुरुषकोंतो अवश्यही करनां नचितहै.
प्र. ३५–श्रीमहावीरजीने किस वस्तुका त्याग करा था. __न.-सर्व सावद्य योगका अर्थात् जीव
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