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२२३ द्वारकांके करोड़ों घर कैसें मावेंगे, और चक्रवर्ती के गनवे ए६ करोम गाम इस गेटेसे नरतखंझमें क्योंकर वसेंगे, इनके नत्तर अंगुलसत्तरीमें बहुत अहीतरेंसें दीने है, सो अंगुलसत्तरी वांचके देखनां, चिंता पूर्वोक्त नही करनी, यह मेरा इस प्र. भोत्तरका लेख बुद्धिमानोंकों तो संतोषकारक होवेगा, और असत् रूढोके माननेवालोंकों अञ्चना जनक होवेगा, इसी तरे अन्यत्नो जैनमतको कितनीक वाते असतरूढीसें शास्त्रसे जो विरूइ है, सो मान ररको है, तिनदा स्वरूप इहां नही लिखते है.
प्र. १५ए-गुरु कितगे प्रकारके किस किस की नपमा समान और रूप १ नपदेश २ क्रिया ३ कैसी और कैसेके पासों धर्मोपदेश नही सुननां. और किस पासों सुनना चाहिये.
न.-इस प्रश्नका उत्तर संपूर्म नीचे मुजब समझ लेनां.
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