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२एए जरका संस्कृतकी वाक्य रचनाका पुस्तक ११६ ।१ देखो । इति माक्तर खूलर. अथ तोसरा लेख। सिई महाराजस्य कनिश्कस्य राज्ये संवत्सरे नवमें ॥॥ मासे प्रथ १ दिवसे ५ अस्यां पूर्वाये कोटियतो, गणतो, वाणियतो, कुलतो, वश्रीतो, साखातो वाचकस्य नागनंदि सनिवरतनं ब्रह्मधू. तुये नहिमितस कुटुंबिनिये विकटाये श्री वाईमा नस्य प्रतिमा कारिता सर्व सत्वानं हित सुखाये, यह लेख श्री महावीरकी प्रतिमा कपरहै । इस का तरजमा नीचे लिखतेहै ॥ फतेह महाराजा कनिश्यके राज्यमें ए नवमें वर्षमेंका १ पहिले महीनेमें मिति ५ पांचमीमें ब्रह्माकी बेटी और नट्टिमित (नट्टिमित्र) को स्त्री विकटा नामकीनें सर्व जीवांके कल्याण तथा सुखके वास्ते कीर्तिमान वईमानकी प्रतिमा करवाई है, यह प्रतिमा कोटिक गण (ग) का वाणिज कुलका और व शरी शाखाका आचार्य नागनंदिकी निर्वतन है, (प्रतिष्टितहै), अब जो हम कल्पसूत्र तर्फ नजर करीये तो तिस मूल प्रतके पत्रे । ०१-०२ । इस.
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