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१० वस्तु होवेगी सो मैं नहीं जानता हूं, पति नोग अथवा पति नाग इन दोनोंमेंसें कौनसा शब्द पसिंद करने योग्य है के नही, यहनी मैं नही कह सक्ताहूं (आ) आतपीको गहवरोरारा (राधा) कारहीस आर्य-कर्क सघस्त (आर्य-कर्क सघशी त) का शिष्यका निर्वतन (होश्के) वश्हीक (अ श्रवा वाहीता) को बदीस, यह नाम तोमके इस प्रमाणे अलग कर सक्ते है, आतपीक-औगहबआर्य । पीके नागमें यह प्रगट है कि निर्वतन याके साथ एकही विन्नक्तिमें है, तिस वास्ते अन्य दूसरे लेखोमेंनी बहुत करके ऐसीही पतिके लेख लिखे हुए है, निर्वर्तयतिका अर्थ सामान्य रीते सो रजु करता है, अथवा सो पूरा करता है ऐसा है, तिससे बहुत करके ऐसे बतलाता है के दीनी हुइ वस्तु रजु करनेमें आश्थी, अर्थात् जिस आ चार्यका नाम आगे आवेगा तिसकी श्वासें अर्प ण करनेमें आश्थी, अथवा तिससे सो पूरी कर. नेमें आश्थी. गणतो, कुलतों इत्यादि पांचमी वि नक्तिके रूप वियोजक अर्थ में लेने चाहिये, स्येश्
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