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र्म है, सो पांच प्रकारका है, नदारिक संघातन, वैक्रिय संघातन इत्यादि एवं, २७ सत्ताइस प्रकृति हुइ, अथ नदारिक शरीरपणे जो सात धातु परिशमी है तिनमें हारुकी संधिको जो दृढ करे सो संहनन नामकर्म, सो ब ६ प्रकारका है, तिनमें सें जहां दोनो हाम दोनों पासे मर्कट बंध होवे, ति सका नाम नराच है, तिन दोनो हामोंके ऊपर तीसरा हाम पट्टेकी तरें जकम बंध होवे तिसका नाम शेषन है, इन तीनो हामके भेदनेवाली ऊपर खीली होवे तिसका नाम वज्रहै, ऐसी जिस कर्मके उदयसे दामका संधी दृढ होवे तितका नाम वज्ररुषन नराच संहनन नामकर्म है. १८ जहां दोनों हामोंके बेहमे मर्कटबंध मिले हुए होवे, और उनके उपर तीसरे दामका पट्टा होवे, ऐसी हाम संधी जिस कर्मके उदयसें होवे सो रुपन नराच संहनन नामकर्म २० जिन दामोंका मर्क टबंध तो होवे परंतु पट्टा और कीलो न होवे, जि सके उदयसें सो नाराच संहनन नामकर्म, ३० जहां एक पासे मर्कटबंध और दूसरे पासे खीली
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