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नही होताहै ऐसा कषायवाला मरके मनुष्य होताहै १५ चौथी संज्वलनको कषाय, तिसकी स्थिति एक पक्षकी. क्रोध पाणीकी लकीर समा न, मान वांसको शीखके स्तंने समान, माया, बांसको ब्लिक समान, लोन हलदीके रंग समान, इसके नदयसे वीतराग अवस्था नही होती है. इस कषायवाला जीव मरके स्वर्गमें जाताहै १६ जिसके नदयसे हासी आवे सो हास्य प्रकृति १७ जिसके नदयसे चित्त में निमित्त निनिमितसें रति अंतरमें खुशी होवे सो रति १० जिसके उदयसे चित्तमे सनिमित्त निनिमित्तसें दिलगोरी उदासी उत्पन्न होवें सो परति प्रकृति १ए जिस. के नुदयसे इष्ट विजोगादिसें चित्तमें नदेग नत्पन्न होवे सो शोक मोहनीय प्रति १० जिसके नुदयसे सात प्रकारका नय नत्पन्न होवे सो नय मोहनीय २१ जिसके नदयसे मलीन वस्तु देखी सूग उपजे सो जुगुप्सा मोहनीय १३ जिसके नदयसे स्त्रीके साथ विषय सेवन करनेकी श्छा नुत्पन्न होवे, सो पुरुषवेद मोहनीय १३ जिसके
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