________________
. १५०
होतेहै, और मरतेहै तिन जीवाके शरीरोंका पिं. मही पृथ्वीहै. जो कोइ प्रमाणवेत्ता ऐसे समऊताहै के कार्य रूप होनेसे पृथ्वी एक दिनतो अवश्य सर्वथा नाश होवेगी, घटवत्. उत्तर-जैसा कार्य घटहै तैसा कार्य पृथ्वी नहीहै, क्योंकि घ टमें घटपणे नत्पन्न होनेवाले नवीन परमाणु नही आतेहै, और पृथ्वी में तो सदा पृथ्वी शरीरवाले जीव असंख नत्पन्न होतेहै, और पूर्वले नाश होतेहै. तिन असंख जीवांके शरीर मिलने और वि हमनेसे पृथ्वी तैसीही रहेगी. जैसें नदीका पाणी अगला २ चला जाता है; और नवीन नवीन आ नेसे नदी वैसीही रहती है, इस वास्ते घटरूप कार्य समान पृथ्वी नही है, इस वास्ते पृथ्वी सदाही रहेगी और तिसके उपर जो रचना है; सो पूर्वोक्त पांच कारणोंसें सदा होती रहेगी. इस वास्ते पृथ्वी अनादि अनंत काल तक रहेगी, इस वास्ते पृथ्वीका कर्ता ईश्वर नही है, और जो कितनेक नोलें जोव मनुष्य १ पशु ५ पृथ्वी ३, पवन ४, वनस्पतिकों तथा चंद्र, सूर्यकों देखके और मनु
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com