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________________ अधरमचा दिया यह नसमाकिन हाली पालीचमारों कि विवाहमाघफागुणमें बनायें नौभी एक घंसौम्म कहा जाय क्योंकि जबखेती क्रम वालों को सुविता और शकर चावलभीसम्नाहोताहै औरगमन करनेकोऔर नाचने कूदने कोभीयहऋतुमीतल और उत्तम होती है नीसरे एक पंथ दोकानबिवाहका विवाह पोरफाग यसन होली की होली पोरजोसमझाने परभीनमानेगे नोलाचारइनजोतशियांकाप्रवन्धसरकारसे फरयाद करने करायाजावेण क्योंकि हमकोनो सरकारीमालदेना है। (प्रश्न भलायहनो दुबाजबदमकिसी का विवाहजो निधीसेनसुगावेगेनो विना जोनियकरासीकैसे मिलेगी औरजबनकरासियों में मित्रनानहौवनोमदेवकोपुरु सखीमें दंगा बखेड़ारहेण उत्तर) दोहा ऊंटकेगलमेंटोलबंधातकीडीकेगलपंगा विनापरीक्षाजोगमिलावरहैरानदिनरंटा यहकिसीभुगनेद्येमहात्माकाबचना सोसत्यापिस का माननाचाहिये क्योंकिजन्मकि नमिता | परतीमविरोधनहीं होता किनुखभावकेनामिलनेसे दोना है जब दोनों के स्वभावगुगाजहानक एक तुल्य शिंगे उतनी ही पीनी परस्पर दोनो में होगीनोरासलिन Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034854
Book TitleJain Aur Bauddh ka Bhed
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHermann Jacobi, Raja Sivaprasad
PublisherNavalkishor Munshi
Publication Year1897
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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