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१५० भावकोंने ओर वर्धमान तप के पाया में ४८ तपस्वियों ने लाभ लिया। उनकी भक्ति निमित्त पारणा, ओर मूल्यवान प्रभावनाएं हुई। मंगल उत्सवें :
पूज्य गुरुदेव श्री लब्धिसूरीश्वरजीको नौंवी स्वर्गारोहणतिथि निमित्त श्री संघ द्वारा शांतिस्नान अष्टाहिकामहोत्सव, जुलुस गुणानुवाद सभा आदि हुई, ओर श्री पर्युषण पर्व में भी उत्सवों की मंगल योजना हुई. देवद्रव्य, ज्ञानद्रव्यादिको भव्य आमदानी हुई. पर्युषण के बाद मोगल सम्राट अकबर बादशाह प्रतिबोधक श्री हीरसूरीश्वरजी महाराज की ३७३ वीं स्वर्गाराहणतिथि मनाई गई। बाद में श्री जैन नया मंदिर में शांति स्नात्र अट्ठाई महोत्सव ओर श्री गुजरातीवाडी में सिद्धचक्र पूजन ओर श्री जुनादिर में शांतिस्नान, सिद्धचक्र पूजन सह अट्ठाई महोत्सव मनाया गया. ओर भवोभवके पुदगल बोसराने को भव्य क्रिया हुई, का. सु. १५ को दादावाडी में श्री सिद्धगिरि यात्रा निमित्त रथयात्रा, चैत्यवंदन, खमासमणां, नव्वाणुंप्रकारीपूजा, मद्रास संघ की नवकारशी आदि हुआ था। पू. गुरुदेव की मंगलमय देशना व प्रेरणा से उपधान तप, पांच छोडका उद्यापन जैसे महान अनुष्टान भी होने वाले है। मद्रास श्री संघ प्रार्थना करते हैं कि पू. गुरुदेव के करकमलों से शासन प्रभावना के महान कार्य ओर भी होते रहे।
निवेदक
श्री मद्रास जैन संघ . "लब्धिवाणी" शृंगार यही अंगार है। विषयोंकी मजा यही सजा है। स्नेहीयों का व्हाल यहीं आत्मा के बुरे हाल है। और भयंकर काल है।
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