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मन्गलगीत गा रही थी। बीच-बीच में गहुँली आदि कार्य से गुरु को बधाया जा रहा था।
स्वागत यात्रा एलिफेंट गेट स्ट्रीट, विनायक मुदली स्ट्रीट, आदियप्पा नायक स्ट्रीट, गोविंदप्पा नायक स्ट्रीट, चाईना बाजार, मिन्ट स्ट्रीट से होकर जुनामंदिर में दर्शन कर श्री चंद्रप्रभु नयामंदिर में दर्शन कर उपाश्रय में सभा के रूप में परिवर्तित हुई और गुरुदेव ने मंगल देशना सुनाई। बाद में बाहरसे आये हुए मेहमानों को संघ ने भक्ति को। दोपहर में पंच कल्याणक पूजा पढाई गयो।
सूत्र तथा चरित्र का मंगल आरम्भः
गुरुदेव के प्रतिदिन प्रवचन ओर रविवारों के दिन जाहिर प्रवचन चलते थे। श्री संघ की मंगल प्रार्थना से गुरुदेव ने आषाढ़ वद २ से प्रवचन में श्राद्ध प्रतिक्रमण सूत्र ओर वस्तुपालचरित्रका वांचन आरंभ किया। सामुहिक तपश्चर्या :
पूज्यश्रीके प्रभाविक प्रवचनों से लोगों में धार्मिक भावना ओर तपश्चर्या करने की इच्छा प्रकट हुई, इसलिये नवकार मंत्र के तपका प्रारंभ हुआ. जिसमें लगभग ५०० तपस्दी लोगों ने भाग लिया। श्री संघ द्वारा नौ दिन एकासना की भक्ति हुई। फिर गौतमस्वामी के छट्ठ में २५० भावकों ने लाभ लिया। इसके बाद श्री पर्युषण पर्वमें ३१, ३०, १६, ११, अट्ठाई १००, क्षीरसमुद्र आदि भारि संख्या में तपश्वर्या हुइ, (काफि मात्रा में हुऐ) और चोसठ प्रहरी पौषध ५० संख्या में हुए थे। ८०० तपस्वीयों का समुहमें पारणा हुआ था। फिर श्री विजय मोदक तपमें २२५ साधकों ने, श्री अक्षयनिधी तपमें
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