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________________ [७३ ] ग्रंथ गर्भावलि । कैसे मिटे जठरकी त्रासा, कौन नाम कहिये परकाशा । जब जम रोके सब अस्थाना, कौन रहा होय देहि पियाना । अमर लोक कहां है बासा, कहां करे पुरुष रहिवासा । सकल भेद मोहि कहो बताई, निश्चय बंदहु तुहारे पाई । ___ कबीर बचन । सन गोरख एही भेद अपारा, भली बातका कीन बिचारा। सतगरुका है बाहिर बासा, समझ सरूप महापरकाशा । ऐसा भेद पावे जो कोई, जमपुर कबहु न जाय बिगोई । तब जम रोके दसु दुवारा, त्रिकुटी तज हंसा होय न्यारा। अभे दुबार जब गुरु लखावे, वेही पथ हंसा लोक सिधावे । पवन रेवती पर होय असवारा, पहुंचे हंसा लोक दुबारा । गोरख बचन। धन सतगुरु तुम्हरी बलिहारी, हमरा जीव तुम लीन्ह उबारी । गुरु मछंदर गुरु हम कोना, जिन ने जोग ध्यान मोहि दीना। पवन साघ काया में राखा, मुक्तपंथ दिखायो आखा । तीन तत्व मांहीं सब कोई जाने, जति सिद्ध के नाथ बखाने । अब सतगुरु मोरा करो उबारा, मैं तो सरणा लेहूं तुम्हारा । कबीर बचन । अब हम तुमकुं भेद बताई, देश मोरधन में जनमो आई । जेसलमेर मारु मंझारा, भाटीके घर लेहो अवतारा । ज्ञानी होइ है नाम तुम्हारा, खोजी होइ है गुरु तुम्हारा । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034841
Book TitleGyan Swaroday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKabir Sadguru
PublisherKabir Dharmvardhak Karyalay
Publication Year1949
Total Pages86
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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