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________________ ग्रंथ गर्भावलि | { ७२ ] गोरख बचन । गोरख कहे सुनो प्रभु मोरे, मैं लागत हूं चरन तुहारे । अगम बात कैसे कर जानी, किन यह काया कीन बंधानी । प्रथम कौन गर्भ में आवा, कैसे कर ए पिंड बंधावा । कैसे रचे गर्भ अस्थूला, कैसे बंध्यो गर्भको मूला । मोसे भेद कहो अस्थाई मोरा मन तबही पतियाई । । कबीर बचन | । कहे कबीर सुन गोरख सिद्धा, गर्भवास ऐसे कर बंध्या । त्रिकुटी तीर बिंद अस्थाना, मेरु डंड होय करे पियाना । लगन तत्व है उनके पासा, वेही गर्भमें करे निवासा | शिव शक्तिके व्यापे कामा, बेहे बान मांडे संग्रामा । शिवके बिंद शक्तिको नादा, दोऊ मिलके काया बंदा | रतिको काम मासाकी चोरी, येही बिध मिल माया जोरी । समदरिआव जीवका बासा, श्वासा तत्व लई जाय उन पासा । पवन रेवति अधरते आवे, मन जीव तव आन समावे | जीव मन श्वासा के संगा, श्वास चले तत्व अंगा | बंकनालकी रहा होय आवे, येहि त्रिध गर्भमें आन समावे | कमल दोय नारीके पासा, नाभकमल होय जगमें बासा । शिव शक्ति तहां लहे निवासा, तले जठरा ऊपर जीव बासा । सतगुरु मिले छुडावे त्रासा, नहिं तो पडे कालकी फांसा | गोरख बचन | सुनिये स्वामी गर्भ बंधाना, कैसे करि है हंस पियाना । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034841
Book TitleGyan Swaroday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKabir Sadguru
PublisherKabir Dharmvardhak Karyalay
Publication Year1949
Total Pages86
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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