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________________ ग्रंथ गर्भावलि | [ ६६ ] समाई । संचारा | पांच तत्व कहां ते आई, कैसे घटमें आन तीनों गुण का कहौं विचारा, कैसे घटमें कीन्ह बहुत गुण काहेते होई, सकल भेद कहौ समुझाई । कौन गुण नर होवे शूरा, कौन गुण ज्ञानी होवे पूरा | कौन गुण धन होय अपारा, कौन गुण नहि टिके अधारा । कौन गुण होवे छत्र सिंहासन, कौन गुण होवे भभुत के आसन । कौन गुण होय भोग अपारा, कौन गुण होय बिंद संचारा । कौन गुण होय नर धृतारा, कौन गुण होय चोर ठगारा । जंजाली होय कौनसु भाई, कौन गुण सब मांहि समाई । रुड होय कौन गुण जानी, बहिरो होय सो कहो बखानी । युग जोड उपजे नर कैसा, कैसे पहिरे नारी को भेषा । कैसे नमावे सवनको माथा, कैसे जीव होय अनाथा । कोटि धनके कहो व्यवहारा, दालिद्री होय कौन विचारा | कौन पालखी बैठनहारा, कौन होय उठावनहारा । सकल भेद समुझावो मोही, गर्भ संदेश पूछे मैं तोही । । । कबीर वचन | जुक्तसे पांच तत्व तीन गुन पेखो, सात वार जुगत से पंदर तिथि और वार मिलावो, गर्भ संदेश चोट निसाये गुरु लखावे, ज्ञानी सोई गर्भ समुझावे । रवि सनिश्वर मंगलवारा वार तीन लेहो सुरकी धारा । सोम शुक्र और बुद्ध विचारा, वार तीनको चंद्र सिरदारा । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com देखो । पावो ।
SR No.034841
Book TitleGyan Swaroday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKabir Sadguru
PublisherKabir Dharmvardhak Karyalay
Publication Year1949
Total Pages86
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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