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[ ४७ ] तत्त्व स्वरोदय । घडी पूरो स्वर मूंद रहै तो आपको गाफिल न रहो चाहिये । जो गाफिल रहै तो नाश हो जायगा।
अथ काल बचावे को विचार:-प्रथम अन्न कमती खाय । फिर रेचक, पूरक, कुंभक करे। सूर्य को चंद्रमें मिलावे, चंद्र को सूर्यमें मिलावै; इसी तरह पवन वश करे। फिर दश दरवाजा बंध करिके पवन खींच राखै पहर भर तो काल न पावै । चेतनताई राखि के जब काल आवत देखे तब श्वास को खींच राखै तो जब लों चाहै तब लों जीयें ।
शुक्लपक्ष चन्द्रमा को। कृष्णपक्ष सूर्य को। जो शुक्लपक्ष परिवाको सूर्य बहै तो मित्रकी हानि होय, उदासी होय । शुक्लपक्ष परिवाको चन्द्रमा बहै तो शुभ होय । कृष्णपक्ष परिवा को चन्द्रमा बहै तो अशुभ होय । अपनो मृत्यु आगम जानिये । सूर्य बहै तो शुभ है । कृष्णपक्ष परिखाको और शुकपक्ष परिवाको दोई सुर बहै तो जो कार्य करे सो सिद्ध होय । सूर्य उभै अक्षर पूरा पद । चन्द्रमा स्त्री । सूर्य पुरुष ।
शुक्लपक्ष आदि परिवाको तीन दिन चन्द्रमाके, तीन दिन सूर्य के, यह क्रमसे पूनों लहै । कृष्णपक्षके परिवासे तीन दिन सूर्य के, फिर तीन दिन चन्द्रमाके, ये क्रमसे अमावास्या लहै । इतवार, बुधवारको पृथ्वी तत्त्व बहता है। शुक्र, मंगलको अग्नि तत्त्व बहता है। बृहस्पति को वायु तत्त्व बहता है ।
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