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तत्त्व स्वरोदय ।
[ ४६ ] अथ गर्भ तत्व भेद:-वायु तत्व में गर्भ रहै तो झूठा होय, बातें बहुत करै, बहुत फिरै । तेज तत्वमें गर्भ रहै तो रोगी होय । और भोग करते समय पृथ्वी तत्व होय तो भाग्यवान पुत्र होय, भोगी होय, धनवान होय, धैर्यवान होय । जल तत्त्वमें बीज जमे तो राजसी पुत्र होय । ____ अथ गर्भ प्रश्नः-जो कोई पूछै कि इस स्त्रीके लडका होगा या लडकी तो, जो सूर्य चलता हो तो लडका होय और चन्द्र चलता होय तो लडकी होय ।
अथ काल जानने का विचार:-दिन रात सूर्य बहै तो तीन वर्ष का यार ( आयु ) है । दो दिन दो रात सूर्य रहे तो दो वर्ष का यार है। तीन दिन तीन रात सूर्य बहै तो एक वर्ष का यार है।
देश विचार:-चैत्र वदि परिवाको मुख पश्चिम करके बैठे, पांच तच्चको विचार करे । प्रातःकाल वायु तत्व होय तों मूसा, टीडी आवे, पवन बहुत बहै, मेघ थोडा बरपै, दुर्भिक्ष होय । और अग्नि तत्त्व होय तो अग्नि प्रचंड होय, युद्ध बहुत होय, मेघ थोडा बरखै, बराही को रोग लगे । पृथ्वी तत्व होय तो मेघ बरथै, रोगका नाश होय, अन्न समस्त बना रहे । जल तत्त्व बहै तो मेघ बहुत बरषा करे, मनुष्य आनंद रहे, उपद्रव का नाश होय । आकाश तत्त्व बहै तो मकरी परे, काल परे, रोग आवे । अंदर सवा दो
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