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[ ४५ ] तत्त्व स्वरोदय। जल तत्त्व लक्षण:-दहिने स्वर में, वायु स्वर में, वर्ण ब्राह्मण, रंग श्वेत, गोलाकार, स्वाद कषायला, नीचे को चलता है । आंगुल सोलह प्रमाण है। ताके ध्यान को मंत्र, " ॐ मँ-ग नमः।" जाप सोलह हजार १६००० माला मोती की। जब लग जल तत्त्व बहै तब लग इस मंत्र को जाप करै तो सर्व कार्य सिद्ध होय ।
पृथ्वी तत्त्व लक्षण:-वर्ण शूद्र, रंग पीरो, स्वाद मीठो, चले सूधो, आंगुल बारह प्रमाण है । ताके ध्यान को मंत्र, " ॐ -अ-ग नमः । " सर्व सुख को दाता है । जाप बारह हजार १२०००, माला राम रज की । जब लौं बायु स्वर में पृथ्वी तत्त्व बहै तब लों मंत्र जाप करे, ताको फल समस्त है अरु ध्यान विशेषते मोहनभोग मिले। सर्व रोग का नाश होय । ___अथ गर्भ विचार:-रात्रिके समय श्वास चढ़ावै, बीज देवै तो गर्भ रहै । विशेष वृद्ध अवस्था लों जिये । अरु श्वास उतरतेमें बीज देय तो थोडी उमर होय । और भोग करते समयमें पुरुषको दहिनो स्वर होय अरु स्त्रीको डेरो (बॉयो) स्वर होय तो कामदेवके समान लडका हो । और पुरुषको डेरो होय, स्त्री को दहिनो होय तो पुत्री होय । अरु हरहमेश सूर्यमें वीज देवै तो पुत्र होय ।
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