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________________ तत्त्व स्वरोदय । [ ४४ ] अथ पांच तत्त्व को विचार । प्रथम आकाश, दूजे वायु, तीजे अग्नि, चौथे जल और पाँचवें पृथ्वी । जल तत्व अपने को फल करता है। आकाश, वायु और अग्नि दहिने स्वर में शुभ दायक हैं। जल और पृथ्वी बाये स्वर में शुभ हैं । सत्त भाव को शुभ मंत्र सिद्ध होय । अथ तत्व को विचार-आकाश तत्वः रंग कारो. स्वाद फीको, सबसे जुदा और सर्व के बीच में रहता है । सर्व कर्म का नाश करता है और मोक्षदाता है। ताके ध्यान को मंत्र, " ॐ ₹-ग-ह-सँ नमः ।" जाप एक हजार १०००, माला काठकी। वायु तत्त्व लक्षणः-रंग हरो, रूप भयानक, स्वाद खट्टो, तिरछा चलता है। ताके ध्यान को मंत्र, “ॐ नमः।" जाप आठ हजार ८०००, माला सर्व धातुकी । जौंलौं दहिने स्वर में बायु तत्व बहै तबलग मंत्र जाप करै तो शत्रु का नाश होय। ___अग्नि तत्त्व लक्षण:-वर्ण क्षत्री, रंग लाल, त्रिकोणाकार, स्वाद चरपरा, ऊपर को चलता है। आंगुल चार प्रमाण । ताके ध्यान को मंत्र, “ ॐ अँ-ग-र-ग नमः ।" जाप एक हजार १०००, माला गुंजकी । जब लों दहिने स्वर में तत्त्व बहै तबलों मंत्र जाप करे तो शत्रु का नाश होय । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034841
Book TitleGyan Swaroday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKabir Sadguru
PublisherKabir Dharmvardhak Karyalay
Publication Year1949
Total Pages86
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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