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________________ [ ४३ ] तत्त्व स्वरोदय । ___ जो पूरे घर पूछे आई, जिनका नाम प्रथम जो लेई; सो जीत । और सूने घर पूछे, प्रथम नाम लेयः सो हारै। जेहि तरफ शत्रु का सैन्य होय ताहि तरफ अंग राखै तो अपने सैन्यको घाव न लगे । और शत्रुके सैन्यके तरफ को अपना चले जो स्वर राखै ते सरदार, उस तरफ का कोई घाव न आवे । ____ अथ देश भेदः-पूर्व, उत्तर चन्द्र दिशा । पश्चिम, दक्षिण सूर्यदिशा । तहां युद्ध के समय सूर्य नाडी चलती होय तो चन्द्रमा की दिशा लीजै । और चन्द्रमा की नाडी चलती होय तो सूर्य की दिशा लीजै । यह विचार दिशा लेवै तो जय होवै और पांच असवार-पचीस असवार को जीतै विशेष । अथ गमन भेदः-सूर्य नाडी चलती होय तो चन्द्रमा दिशा जाय तो शुभ है । और जो स्वर चलता होय उसी दिशा को जाय तो मार्ग में विशेष भय होय, उपद्रव होय । हर नाडी के चार चार लक्षण :-दहिने, आगे, पीछे चलै तो निश्चय इन घर पूर्ण सूर्य रहता है । वाँये, आगे, उँचे, बैठे; इन घर चन्द्र पूर्ण रहता है । ताका प्रश्नः--चन्द्र स्वर चलता होय और चन्द्रमा को दिन होय तो सुकाल होय । और सूर्य घर में पूछे, सूर्य होय तो शुभ होय । अरु सूर्य घर होय पूछै अरु चन्द्रमा होय तो कार्य विलंबसे होय । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034841
Book TitleGyan Swaroday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKabir Sadguru
PublisherKabir Dharmvardhak Karyalay
Publication Year1949
Total Pages86
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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