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________________ [ ३५ ] पवन स्वरोदय । (जो) कोई पूछे आय के, रोगी को परसंग । बहते सुर जीवे कहो, शून्य दिशा मृतु भंग ॥७३॥ पूँछत में सुर बहत हो, तुरत सुन्न हो जाय । ईश्वर जो रक्षा करे, तौ रोगी मर जाय ॥७४॥ पूँछत में सुर बंद हो, हालहि पूरण होय । ईश्वर जो मारन चहे, रोगी जीवे सोय ॥७५।। चोरी वस्तु गई कळू, पूछ बहती श्वास । मिले बस्तु वासों कहो, बरणी मोतीदास ॥७६॥ बिषया जो विषहर डसो, बहते सुर पूछंत । बिष भुगती जीवे कहो, बँद सुर होय मरंत ॥७७॥ बहुत दिना ते खबर नहि, परदेशी की पाय । पूछे बहते सुर कुशल, विघ्न बंद सुर आय ॥७८॥ कोई पूछे आयके, गर्भवती की बात । बेटा होइ के छोकरी, मरे कि रह कुशलात ॥७९।। पूछत डेरो सुर चले, कन्या गर्भ बताव । दहिने सुरके चलतही, पुत्र होय सतभाव ।।८०॥ पूछत डेरी बगल हो, दहिनो सुर परकाश । पुत्र होय वाको कहो, माताको व्है नाश ।।८१।। प्रश्न करत जल तत्व हो, पुत्र गर्भ में जान । भूमि वायु कन्या सही, अग्नि गर्भ को हानि ।।८२॥ पूछत तत्व अकाश हो, मरो गर्भ में बाल । के माता को कष्ट हो, (के) रहे गर्भ में छाल ॥८३।। EEEEEEEEEEEEEEEEE Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034841
Book TitleGyan Swaroday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKabir Sadguru
PublisherKabir Dharmvardhak Karyalay
Publication Year1949
Total Pages86
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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