________________ साधन साधी न हों सक्यो, ताको मोहि न ताप / मरदी हिय हरि बरदकी, साधन-साध्य न आप // 11 // व्याध फंद मृग परतुहें बंध अहेरी व्है न / प्रेम अजब बागूर में पारनहार बचें न // 63 // और प्रसंग लगे न रूचि कीनी अति मनुहारि / जैसि मनोहर माधुरी लगे प्रेमकी गारि // 64 // दृष्टि दुरिजनकी लगें सब कहि मो न पत्याय / ऐसी सजन की लगे प्रान संग, निठ जाय // 69 // . रति बिन रस सो रसहिंसो रति बिन जान सुजांन। . रति बिन मित्र सुमित्रसों रति बिन सब शब मान // 7 // लाल लली ललि लालकी लें लागी लखि लोल / ल्याय देंरि लय लालकर दुहु कहि सुनि चित डोल // 73 // . प्यारी प्रीतमसों लिख्यो मत धरियो मो ध्यान। ..... तुम मोसे व्हे जावोगे करि हों का मान // 79 // रसिक नेन नाराचकी अजब अनोखी रीत / दुसमनकों परसें नहीं मारें अपनो मीत // 120 // कहांन कही जो कानमें कानन में कही क्यों न / का नन कहेती व्हां अली का न न भावन जानः // 205 // (सतसैया ) (2) वंदु श्री गुरू पद कमल, सकल सिद्धि दातार / श्री महाप्रभु गोस्वामिश्री संह श्री नंदकुमार // 1 // Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com