________________ सब क्लेस जातें टेरें, ठरें सुधी हिय आय / पूरन हुई अभिलाख सब असपद गुरु हरिराय // 2 // गम्य नहि गिरबानकी चाहि समुझि सब नाम / तिनलगि दया यथामति फुटकिन बस्तु जु ग्राम // 3 // नाना द्रुमरस पक्षि ले रचत मयूष आपूप / बिबिधा गमतें नाऊँ त्यों गहि इह ग्रन्थ अनूप // 4 // इक, द्वे, त्रियों क्रमसहित गुहि बस्तू पदबंध / अंत होत सब अर्थको श्रीकृष्णसों संबंध // 5 // और बरनहू सफल सब जो संजोग घनश्याम / ज्यों कंसारी मुसरी अरु मदुसुदन सुठि नाम // 6 // पंच कामबान नाम. अशोक अरु अरविंद चूत मल्लिक सरसों फुल / यहि स्मर शर पंचतें बचे जु हरि अनुकूल // 27 // ___ विरहीके नव लच्छन नाम. ले उसास गंभीर पोत मुख हाय हें / सजल नेन कछु बचत न सूकत जाय हें // लघु भख नोंद हराम उदासी बनी रहें। (हरिहां) गोपिनाथ बिन गोपि गति असी लहें // 21 // (बस्तु वृन्द दीपिका) (3) मोहे बांके नेन खंजरसे लगाव गयो रे / ओ लगायके समक्र हिये मय गयो रे। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com