________________
( ६५ )
है ? उसकी परीक्षा तो संग्राममें फोरन हो जायगी । यह सुनकर दूत वापिस आया और अभयसिंहको कहा कि वह बड़ा अहंकारी है इसलिये विना युद्ध किये वह मानेगा नहीं ।
अव अभयसिंह रात्री के समय गुमरीतिसे गढको लांघ कर सामंत राजाके महेलमें घुस गया । सामंत सोया हुआ था उसे जगा कर कहा कि, उठ ! उठ ! सिंह आया है उसके सामने आ । यह सुन कर सामंत भी उठ कर सामने आया । दोनोंने युद्ध किया । अभयसिंहने सामंतको भूमि पर पटक कर बांध लिया । तब उसकी खीने नमन करके भरतारकी भिक्षा याच कर पतिको छुडाया । वह अहंकारको छोड़ कर अभय-सिंहका सेवक हुआ ।
इधर जब प्रातःकाल हुआ तो अभयसिंहको कटकमें किसीने नहीं देखा । जिससे सर्व सैन्य चिन्तातुर हुआ । उस असेंमें एक मनुष्यने आ कर कहा कि, अभयसिंहने सामन्तको जीत लिया है । और आप सर्व महाशयोंको उन्होंने बुलवाये हैं। तुम लोग लेश मात्र शंकाशील मत होना । उस समय सैन्यके सर्व लोक गांवमें आये, उनको सामन्तने भोजन करा कर सर्वको वस्त्रादिकका शिरपाव देकरके खुश किये ।
·
अब अभयसिंह सामंतको साथ ले कर पृथ्वीतिलक नगरको आया । और सामन्त सहित जा कर पृथ्वी तिलक राजाको प्रणाम किया । उसको देख कर राजा हर्षित हुआ और विचार करने लगा कि यह मनुष्य होने पर भी
5
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com