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बाल-क्रीड़ा (१) करीष आठ वर्षकी उम्र में (1) कृष्ण जब अन्य ग्यालधीर जब बालक राजपुत्रोंके साथ बालकोंके साथ खेल रहे थे, तब खेल रहे थे,तब स्वर्गमें इन्द्रके द्वारा उनके शत्र कंस द्वारा मारनेके की हुई उनकी प्रशंसा सुनकर, | लिए भेजे हुए अघ नामक अ. वहाँका एक मत्सरी देव भगवान्के | सुरने एक योजन जितना लम्बा पराक्रमकी परीक्षा करने आया। पहले सर्प रूप धारण किया और बीच : उसने एक विकराल सर्पका रूप रास्तेमें पड़ रहा । वह कृष्णके साथ धारण किया। यह देख कर दूसरे समस्त बालकों को निगल गया। यह राजकुमार तो डरकर भाग गये, परन्तु देखकर कृष्णने इस सपंका गला इस कुमार महावीरने ज़राभी भयभीत न | तरह दबा लिया कि जिससे उस होते हुए उस साँपको रस्सी की सर्प अघासुरका मस्तक फट गया, भाँति उठाकर दूर फेंक दिया। | उसका दम निकल गया और वह मर.
-त्रिषष्ठिशलाकापुरुषचरित्र, पर्व गया। सब बालक उसके मुखमें से १०, सर्ग २, पृष्ठ २१
सकुशल बाहर निकल आये। यह वृत्तान्त सुनकर कंस निराश हुआ और देवता तथा ग्वाल प्रसन्न हुए ।
-भागवत दशमस्कन्ध, भ.
| १२, श्लो० १२.३५ पृष्ठ ८३८ (२) फिर इसी देवने महावीर (२) आपस में एक दूसरेको घोड़ा. को विचलित करने के लिए दूसरा मार्ग बनाकर उस पर चढ़नेका खेल लिया । जब सब बालक भापस में कृष्ण और बलभद्र ग्वाल बालकोंके घोड़ापनकर, एक दूसरेको वहन | साथ खेल रहे थे। उस समय कंस करनेका खेल खेल रहे थे तब | द्वारा भेजा हुआ प्रलम्ब नामक अShree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com