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काल पूर्व कुल मद करके जो नीच | जन्मे हुए बालक कृष्णको उठाकर गोत्र उपार्जन किया था,उसके अनि- : यशोदाके यहाँ पहुँचाने ले गये । तब वार्य फलके रूपमें नीच या तुच्छ : द्वारपाल तथा अन्य रक्षक लोग योगगिने जाने वाले ब्राह्मण कुलमें थोड़े मायाकी शक्तिसे निद्रावश हो अ. समयके लिये ही सही, परन्तु जन्म | चेत हो गए । लेना ही पड़ा। भगवान्के जन्म-समय
-भागवत दशमस्कन्ध भ० २, विविध देवदेवियोंने अमृत, गन्ध,
१-१३ तथा अ० ३ ला० ४६.५. पुष्प, सुवर्ण, चाँदो आदि की वर्षा की। जन्मके पश्चात् स्त्रात्र के लिये इन्द्र नब मेरुपर लेमया तब उसने त्रिशला माताको अवस्वापनी निद्रासे बेभान कर दिया।
-त्रिषष्ठिशलाकापुरुषचरित्र, पर्व। ०, सर्ग २, पृ० १३.१९ ।
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पर्वत-कम्पन जब देव-देवियाँ महावीरका जन्मा- इन्द्र के द्वारा किये हुए उपद्रवोंसे भिषेक करने के लिये लेगए तब उन्हें रक्षण करने के लिए तरुण कृष्ण अपनी शक्तिका परिचय देनेके लिए : ने योजन प्रमाण गोवर्धन पर्वतको और उनकी शंकाका निवारण सात दिन तक ऊपर उठाए रखा। करने के लिये इस तत्काल प्रसूत बालकने केवल अपने पैरके अँगूठसे -भागवत, दशमस्कन्ध, भ. दवाकर एक लाख योजनके सुमेरु ५३ रलो२६-२७ पर्वत्को कँपा दिया।
-त्रिषष्ठिशलाकापुरुषचरित्र, पर्व १०, वर्ग २, पृ. ११
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