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धर्मशिक्षा ३ न्यायदर्शनमें सर्वज्ञ ईश्वर माना है, और बौद्धदर्शनमभी ___ सर्वज्ञ ईश्वर माना है। ४. न्यायदर्शनमें प्रमाण प्रमेय व्यवस्था रक्खी है, और बौद्धदर्श
नमें भी प्रमाण प्रमेय व्यवस्था स्वीकारी है। ५ न्यायदर्शनमें मूर्ति पूजा मानी है, बौद्धदर्शनमेंतो मूर्ति पूजा
प्रसिफ ही है। ६ न्यायदर्शन, वीतराग अवस्था पानेसे मोक्ष प्राप्ति बतलाता
है । बौघदर्शनकी भी यही मर्यादा है। ७ न्यायदर्शनमें तर्क वगैरहको प्रमाण रूपसे नहीं माना है, बौ
द्धदर्शनभी तर्क वगैरहको प्रमाण नहीं कहता है। ८ बौछदर्शनमें हेतुके जो तीन रूप मानें हैं, वे तीन रूपभी
न्यायदर्शनमें माने गये हैं। ९ बौद्धदर्शनमें ज्ञानके प्रति विषयको कारण कहा है, न्याय,
दर्शनमेंभी इस बातको मंजूर रक्खा है। १० न्यायदशनमें, अर्थापत्ति अभार वगैरहको भिन्न प्रमाण नहीं
माना है, इसी मर्यादा में बौद्ध दर्शनभी बैठा है। ११ काणाददर्शनमें प्रत्यक्ष और अनुमान ये दो ही प्रमाण माने गये
हैं, उसी तरह बौद्धदर्शनभी उक्त दोनों प्रमाणोंको मानता है। इसी प्रकार सब दर्शनोंके साथ बौद्धदर्शनकी कई कई,
बातोंसे समानता स्पष्ट ही दिखाई देती है, फिर भी जैसे वैदिकदर्शनोंसे बौद्धदर्शन भिन्न ही है, वैसे जैनदर्शन भी. बौद्धदर्शनसे बिलकुल भिन्न दर्शन है ।
वाचक वृन्द! एकान्तवाद.रूपकी चडमेंफंसा हुआ बौद्धमत, जनर्दशनके साथ एक तराजूमें हगिंज नहीं बैठ सकता । अपनी
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