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________________ धर्मशिक्षा. ईश्वरने ऐसा कुटंग वेद क्यों बनाया? कि जिसमें ऋषिलोग व्यामूढ बन गये । ईश्वरने ऐसा वेद क्यों न बनाया यानि वेदकी ऐसी स्पष्ट रचना क्यों न की जिससे ईश्वरभक्त सब ऋषियोको वेदमें एकही सत्य तत्व मिल जाता । और भी समझना चाहिये कि बडे बडे रुषि लोगोंकी परस्पर विपतिपत्ति होने के समयपर खुद ईश्वरने आकर उन विप्रतिपत्तियों (मतभेदों) का समाधान क्यों न किया, अन्यथा वेद रचनाकी क्या जरुरत ? क्योंकि सर्वज्ञ ईश्वरको पहिले मालूप ही होगा कि ये लोग मेरे बनाये हुए वेदको यथार्थ रीतिसे नहीं समझेगें । और वेदके भिन्न २ आशयों को लेकर ऋषिलोग कलह केलीमें फँस जायंगे और प्रजाको सत्यधर्मका श्रद्धान नहीं होगा। ऐसे जानते हुवे भी ईश्वरने जो वेदकी रचनाकी तो यह प्रथम विफल (फजूल) कार्य करण दूषण ईश्वरको आया । असालमें वेद श्रुतियोंका अवलंबन ले कर पाखंडी लोगोंने बहुत अकृत्य काम फैलाया, और कृत्य काम के ऊपर खड़ फैंका । और भोले लोग वेदके नाममें मोहित हो कर वेदको परम सबूत समझ कर हिंसादि कर्ममें फंसने लगे। और संसार विषयानन्दी मतलबो लोगोंने वेदका बहाना लेकर अपनी पूजा तथा अधर्म वृद्धि चलाई । वाचकवर्ग ! इन सब पापोंका निमित्त कारण वेदकर्ता ईश्वर ही होगा । यह दूसरा वज्र कठिन दोष ईश्वर के ऊपर आया। क्या इन सब भावि परिणामोंको ईश्वर नहीं जानता था ? अगर जानता था तो फिर वेदकी रचना क्यों की? वेदकी रचनासे क्या नतीजा ईश्वरने निकाला? । अगर नहीं जानता था तो फिर ईश्वर ही कहां रहा? क्योंकि सर्वज्ञता ही ईश्वरका परम स्वरूप है। ___पाठक महाशय ! वेदक" ईश्वर कैसा बहादुर ? धर्मको फैलाने के लिये ईश्वरने वेद बनाया और फैल गया अधर्म । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034803
Book TitleDharmshiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNyayavijay
PublisherGulabchand Lallubhai Shah
Publication Year1915
Total Pages212
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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