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________________ साथ ही हम में से अधिकांश व्यक्तियों की बुद्धि पर विज्ञानवाद की गहरी छाप पड़ चुकी है जिससे कतिपय अर्ध. सत्य बातों को भी सत्य मानने की विकृत भावनाओं से हमारा मन अभ्यस्त बन गया है। ऐसी परिस्थिति में शास्त्रीय मान्यताओं को बुद्धिवादियों के हृदय में स्थान मिलने में बिलम्ब हो, यह सम्भव है। इसके लिये विज्ञान की रूढ बनी हुई मान्यता का हृदय से विदा करने और शास्त्रीय मान्यता को तर्कबद्ध-पद्धति से समझने-समझाने की नितान्त आवश्यकता है। किन्तु केवल तदर्थ धर्मशास्त्रों की बात को समक्ष रखकर कुछ बतलाया जाय, तो सही चीज भी अनेक बुद्धिशालियों के मस्तिष्क में जम नहीं सकती? __ अतः भारतीय धर्मशास्त्र, आगम, वेद और अन्य भारतीय ग्रन्थों के प्रमाण प्रस्तुत करने के साथ ही वैज्ञानिक जगत् के प्रसिद्ध–'श्रीपाइथागोरस, अरस्तू, टोलेमी, कोपरनिक्स, जेम्स जिन्स, सर आइन्स्टीन, जोर्ज, मेकडोनल्ड, हेनरी फोस्टरआदि पाश्चात्य विद्वानों की मान्यता के साथ "भू-भ्रमण की भ्रमणा" की वास्तविकता अथवा अवास्तविकता का विचार यहाँ करेंगे ।* *प्रस्तुत लघु-पुस्तिका में सभी विद्वानों के सर्वविध विचारों का अङ्कन सम्भव नहीं है, अतः अत्यावश्यक विचारों को ही सूत्र रूप में उपस्थित किया है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034780
Book TitleBhugol Vigyan Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRudradev Tripathi
PublisherPunamchand Panachand Shah
Publication Year1968
Total Pages46
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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