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________________ वापस कैसे आ सकते हैं ? आकाश में फेंके गये वाण विलीन क्यों नहीं हो जाते ? अथवा बाण को पूर्वाभिमुख फेंका हो, तो उसे पश्चिमाभिमुख बन जाना चाहिये ? पृथ्वी को गति मन्द है, अतः यह सब नहीं होता, ऐसा कहा जाय तो एक दिन में पूर्ण गोल कैसे फिर सकती है ? एक रात-दिन में इसका परिभ्रमरण कैसे सम्भव हो सकता है ? * __ भ्रमण का सिद्धान्त प्रत्यक्ष बाधित है, पृथ्वो घूमती है इसका निर्णय प्रत्यक्ष से नहीं होता है क्यों कि पृथ्वी स्थिर है ऐसा अनुभव सभी कर सकते हैं इस लिये भू-भ्रमण के सिद्धान्त को एक प्रकार का भ्रम भी नहीं कह सकते, क्यों कि *नहि प्रत्यक्षतो भूमे भ्रमण-निर्णीतिरस्ति । स्थिरतयवानुभवात् । न चायं भ्रान्तः, सकलदेशकालपुरुषाणां तद् भ्रमणाऽप्र. तीतेः । कस्यचिन्नावादि-स्थिरत्वानु-मवस्तु प्रान्तः । परेषां तभ्रमणानु. भवेन बाधनात् । नापि अनुपानतो भू-म्रमण-विनिश्चयः कर्तुं सुशकः । तदविना भाविलिङ्गाभावात् । स्थिरे प्रवके सूर्योदयास्तसमयमध्याह्नादि भूगोलभ्रमणेऽविनाभावि लिङ्गमिति चेद्, न, तस्य प्रमाण बाधितविषय. त्वात् । पावकानोण्यादिषु द्रव्यत्वादिवत् । भचक्र प्रमणे सति भूभ्रमणमन्तरेणपि सूर्योदयादि प्रतीत्युपपत्तेश्च । ( श्री तत्त्वार्थ सूत्र श्लोक वा तका अध्याय ४ ) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034780
Book TitleBhugol Vigyan Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRudradev Tripathi
PublisherPunamchand Panachand Shah
Publication Year1968
Total Pages46
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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