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सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक सर जेम्सजोन्स के शब्दों में उक्त गणितिक सुविधा का इतिहास यह है "विज्ञान का इतिहास ऐसी नाना परिस्थितियों को प्रस्तुत करता है जिन पर तर्कवितर्क होते रहे हैं । टोलमी और उसके अन्य अनुयायियों ने चक्र और उरचक ( Cycles and Epicycles ) का निर्माण किया, और उसके अनुसार वे ग्रहों की भविष्यकालीन स्थिति बताने में सफल रहे।
१३ वीं शताब्दी में क्रस्टायल एलफान्जो नामक व्यक्ति ने कहा था कि यदि विश्व की रचना ऐसी जटिल है जैसी कि हम अब तक जान रहे हैं, यदि विधाता उस समय मेरी सलाह लेता तो उसे मैं एक अच्छी सलाह दे सकता था। कुछ समय बाद कोपरनिकस ( Copernicur ) ने यह माना कि टोलेमी का सिद्धान्त इतना जटिल है कि वह सच्चा नहीं लगता। वर्षों के विचार और श्रम के बाद उसने बताया कि ग्रहों की गति अधिक सुगमता से बताई जा सकती है यदि उसकी गति संबन्धी भूमिका बदल दी जाये। टोलेमी ने पृथ्वी को स्थिर माना था । कोपरनिक्स ने सूर्य को स्थिर माना । किन्तु अब हम । मानते हैं कि सूर्य पृथ्वी की अपेक्षा अधिक स्थिर एकान्त रूप से नहीं माना जा सकता । जैसे-पृथ्वी सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती है ऐसा माना जाये तो सूर्फ़ भी उन लाखों और करोड़ों तारों में से एक ताराह जो सारे मिल कर एक ग्लेस्टिक सिस्टम बनाते
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