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________________ ( २० ) हो जानी है। इतनी सुदीर्घ यात्रा कर लेने पर भी ध्र व का तारा वहीं का वहीं दिखाई दे यह कैसे सम्भव हो सकता है ? अर्थात् सूर्य के प्राकाशीय विभाग में जिस स्थल पर पृथ्वी हो और वह दूसरे विभाग में जाए इतने में लगभग १८३ रात-दिन हो जाते हैं, और उसमें ३२,६४, ७२,, ००० मील का महाप्रवास होता है । इतना विशाल प्रवास कर लेने पर भी ध्र व तारा जहाँ हो नहीं दिखलाई दे वह बात बुद्धिगम्य नहीं बनती है । यदि पृथ्वी को स्थिर माना जाय तो यह आपत्ति सिर पर नहीं आती। बब से पृथ्वी के चर होने का सिद्धान्त राजमान्य बना तब से पृथ्वी के स्थिर और चर होने की खोज का विषय व्यक्तिगत बन गया है । इस सम्बन्ध में किसी व्यक्ति ने विशेष विचार किया तो वह उसे लोक - समक्ष लाया, किन्तु राज्य ने उस बात पर ध्यान नहीं दिया। सन् १९४८ में दि० २ को प्रकाशित The SundayNews Of India नामक अंग्रेजी पत्र में हेनरीफॉस्टर द्वारा लिखे गये - How round is the earth" शीर्षक निबन्ध में बताया गया है कि* 1. *Many people have spent years trying to prove that the earth is flat, but few have revealed such zeal as Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034780
Book TitleBhugol Vigyan Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRudradev Tripathi
PublisherPunamchand Panachand Shah
Publication Year1968
Total Pages46
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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