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________________ माना जा सकता है ? और दूसरी बात यह है कि चरवादियों के मतानुसार "पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है इतना ही नहीं किन्तु वह प्रति घण्टा ६६००० मील की गति से सूर्य की परिक्रमा दे रही है। तथा सूर्य का व्यास ८, ६००० मील का और २६००,००० मील लगभग परिधि वाला है तथा पृथ्वी से सूर्य ६, ३०,००,००० मील दूर है यह माना जाता है, इतना होने पर भी प्रत्येक मास में और अनेक बार प्रत्येक दिन में सूर्य का स्थलान्तर हम प्रत्यक्ष देख सकते हैं। परन्तु ध्र व का तारा सदा के लिये सभी महीनों के सभी दिनों में एक समान और एक ही स्थान पर दिखाई दे यह सर्वथा असम्भव है। साथ ही ध्रव का तारा सदा के लिये सभी को उत्तर को ओर ही एक ही स्थान पर स्थिर दिखलाई देता है इस लिए उसे "ध्र व" कहते हैं । पृथ्वी को वैज्ञानिक सूर्य के आसपास ६६००० मील तीव्र की गति से घूमती हुई मानते हैं अतः वह २४ घण्टों में १५, ८४००० मील दूर जाती है। सूर्य के दक्षिण भाग से वामभाग की ओर आने में प्रायः १८३ दिन लगते हैं और इसमें ३२, ६४,७२,००० मील की गति Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034780
Book TitleBhugol Vigyan Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRudradev Tripathi
PublisherPunamchand Panachand Shah
Publication Year1968
Total Pages46
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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