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________________ ( १६ ) इस कारण पोप ने उसको कैद में रख दिया और उसने छः वर्ष की सजा भोगी । बाद में अपनी मान्यता में परिवर्तन न करने के कारण पोप की आज्ञा से उसे जीवित जला दिया गया । ब्रुक ओर गेलेलियो की करुरण मृत्यु से उनकी मान्यता नष्ट नहीं हुई अपितु और भी व्यापक बनने लगी । पृथ्वी को चर मानने में जो आपत्तियाँ आतीं उनका तर्क से समाधान ढूंढ़ा गया । (१) पृथ्वी की दैनिक और वार्षिक गति का मेल बिठाने के लिये २३ १३ अंश (Degree) भुकी है ऐसा मानना । (२) पृथ्वी के चारों और वायुमण्डल ( Atmosphere) की कल्पना की जाय । ( पहले ऊपर ४८ मील तक वायुमण्डल माना जाता था किन्तु आज हजारों मील तक माना जा रहा है ।) (३) गुरुत्वाकर्षण (Gravitation ) नामक पदार्थ माना जाय । * ( इस गुरुत्वाकर्षण के मानने से प्राचीन तर्कों का *गुरुत्वाकर्षण कोई वास्तविक पदार्थ है अथवा नहीं है, यह विचारणीय है । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034780
Book TitleBhugol Vigyan Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRudradev Tripathi
PublisherPunamchand Panachand Shah
Publication Year1968
Total Pages46
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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