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पूरा करने में उसे एक मास लगता है।
ई० सन् १६१५ में खिस्ती रोमन कैथोलिक सर्वाधिकारी पोप ने गेलेलियो को रोम बुलाया और एकाध घण्टा बातचीत को।
गेलेलियो और कोपरनिक्स के विचार सत्य हैं कि टोलेमो के मतानुसार “पृथ्वी स्थिर है' यह बात सत्य है इसका निश्चय करने के लिये एक समिति की स्थापना की गई। समिति ने गेलेलियो को असत्य सिद्ध किया, उसके विचारों पर प्रतिबन्ध लगाया गया।
ई० सन् १६२३ में पुराने पोप को मृत्यु हुई और नया पोप बार्बेरिनो बना । गेलेलियो ने फिर से अपने सिद्धान्तों का प्रचार धीरे-धीरे प्रतिबन्ध में बाधा न आये इस रूप में किया। इससे पोप अत्यन्त ऋद्ध हुए और पुन: उसे रोम में बुलाया। १४ फरवरी १६३३ को वह रोम पहुँचा और उसे नजर कैद कर लिया गया। अन्त में उसने यह लिख दिया कि 'मेरो मान्यता असत्य है, यह उसने पीड़ा और अत्याचार से त्रस्त होकर लिख दिया था किन्तु उसकी मान्यता 'पृथ्वी और सूर्य दोनों चर हैं ऐसी ही बनी रही। उसका अन्तिम समय जेल में ही गया ।
गेलेलियो से पूर्व ब्रुक नाम का एक वैज्ञानिक हुआ और वह 'पृथ्वो सूर्य के आसपास घूमती है" ऐसा प्रचार करता था, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com