________________
[ १४ ]
बौद्ध ग्रन्थों में और बाइबल में भी 'पृथ्वी स्थिर है' यह दृढ़ता-पूर्वक प्रतिपादित किया गया है ।
अब हम पाश्चात्य जगत् के वैज्ञानिकों की मान्यता की ओर घूमकर देखते हैं। पाश्चात्य जगत् के वैज्ञानिकों की मान्यताएं
जहाँ तक बाईबल आदि धर्मग्रन्थों का सम्बन्ध है, वहाँ कट्टरता-पूर्वक 'पृथ्वी की स्थिरता' का सिद्धान्त बताया है । वहाँ के ज्योतिषाचार्य और गणिताचार्य भी पृथ्वी की स्थिरता को ही मानते थे । उनमें श्री अरस्तू और श्री टोलेमी प्रसिद्ध हैं।
प्रायः ई० सन् पूर्व ५०० में श्री पाइथागोरस ने पृथ्वी के चर होने की मान्यता प्रस्तुत की थी, किन्तु उससे पूर्व किसी ने स्वप्न में भी पृथ्वी के घूमने की कल्पना नहीं की थी।
ई० सन् की १६ वीं शताब्दी में कोपरनिक्स ने पृथ्वी को चर बताया तथा सूर्य को स्थिर बताया। ई० सन् १६११ के मार्चमास में गेलेलियो ने पृथ्वी को चर बताया और कोपरनिक्स की अनेक बातों का समर्थन किया। किन्तु सूर्य की स्थिरता के बारे में गेलेलियो ने मतभेद बतलाया । इसने प्रमाणित किया कि सर्य भी अपनी धुरी के ऊपर घूमता है और एक भ्रमण Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com