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( १२ )
पृथ्वी ध्रुवा ।
पृथ्वी स्थिर, है ।'
द्योश्च भूमिश्च तिष्ठतः । - श्रीअथर्ववेद १० -८-२ ।
द्य और पृथ्वी ( ये दोनों) स्थिर हैं ।
पृथिवीवितस्थे । 'पृथ्वी पूर्णं स्थिर है ।'
ताभिर्याति स्वयुक्तिभिः । ऋग्वेद १-७२ - ६ ।
करता है।'
- श्री प्रथर्ववेद ६०८६ - १।
'सूर्यं अपनी नियत गति के अनुसार गमन किया
ध वा स्थिरा धरित्री ।
- ऋग्वेद १- ५०-६ ।
- श्री यजुर्वेद १४.२
' पृथ्वी ध्रुव है और स्थिर है ।'
ध्रुवासि धरित्री ध्रुवा स्थिरा सति धरित्री
भूमिरूपा चासि सति ।
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- श्री सायण भाष्य
'पृथिवी ध्रुव है, ध्रुव होते हुए भी वह स्थिर रूप में
विराजमान है ।'
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