SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन आगम 'सूर्य-प्रज्ञप्ति" सूत्र में सूर्य की गति का स्पष्ट प्रमाण है। वहाँ गणधर गौतम महामुनि ने भगवान् श्री महावीर देव से प्रश्न किया है कि "हे मदन्त, सूर्य जब सर्व अभ्यन्तर मण्डल में से सब से बाहर के मण्डल में जाए और उसी प्रकार सब से बाहर के मण्डल में से सब से अभ्यन्तर के मण्डल में आये तो इस सूर्य को इतनो गति करने पर कितनी रात और दिन का समय लगता है ? भगवान् महावोर देव ने उत्तर में बतलाया कि-गौतम इस गतिक्रिया में तीन सौ छाछठ रात और दिन का समय लगता है। इस विषय की अधिक पुष्टि के लिए पुनः प्रश्न किया गया है कि--- भदन्त, इतने समय में ( तोन सौ छाछठ रात-दिनों में ) सूर्य कितने मण्डलों का परिभ्रमण करता है ? दो बार कितने 'त. जवाणं ते सूरिए सम्वन्भंतरामो मंडलातो सव्वा बाहिरं मंडलं उक्कमित्ताचारं चरति सब्वबाहिरातो मंडलातो सबभतरमंडलं उपसंकमित्ताचारं चरति, एस णं श्रद्धा केवइन रातिदियग्गेणं प्राहित्तेति वदेज्जा ? ता तिरिण छाय? रातिदियसए रातिदियग्गेणं आहित्तेति वदेज्जा ? श्री सूर्य प्राप्ति सूत्र प्रथम प्राभृत सूत्र : Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034780
Book TitleBhugol Vigyan Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRudradev Tripathi
PublisherPunamchand Panachand Shah
Publication Year1968
Total Pages46
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy