SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ६ ) मण्डलों में भ्रमण करता है तथा एक बार कितने मण्डलों में परिभ्रमण करता है ? प्रभु ने उत्तर में बतलाया कि गौतम, सामान्यतः सूर्य एक सौ चौरासी १८४ मण्डलों में परिभ्रमण करता है इनमें से एक सौ बयासी मण्डलों में दो बार परिभ्रमण करता है जो इस प्रकार है-निष्क्रमण के समय और प्रवेश के समय । (प्राते हुए और जाते हुए एक पहला और एक अन्तिम इस प्रकार दो मण्डलों को छोड़कर शेष सभो में दो बार भ्रमण होता है इसलिये -) दो मण्डलों में एक बार परिभ्रमण होता है-सब से जअन्दर का मण्डल और सब से बाहर का मण्डल ।* जैसे जैसे समय समय पर सूर्य पूर्व की ओर आगे बढ़ता जाता है उसी प्रकार पीछे के देशों में रात्रि होती जाती है । *ता एताए अद्धाए सूरिए कति मंडलाइं चरंति ? कति मंडलइ दुखुत्तो चरइ ? कति मंडलाइं एग खुत्तो चरति ? । ता चुलसीयं मंडलसतं चरति बासीती तं मंडलसतं दुखुत्तो चरति, तं जहा णिखम्ममाणे चेव पवेसमाणे चेवदुवेय खलु मंडला सई चरइ, तं जहासम्वन्भंतरं चेव मंडलं, सव्वबाहिरं चेव मंडलं, ॥ श्री सूर्य प्रज्ञप्ति सूत्र प्रथम प्राभृत सत्र १० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034780
Book TitleBhugol Vigyan Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRudradev Tripathi
PublisherPunamchand Panachand Shah
Publication Year1968
Total Pages46
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy