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___ उन ज्ञानी पुरुषों ने अपने आन्तरिक ज्ञानचक्षु के द्वारा जो देखा और उसमें जो बातें विश्व के लिये उपकारी-हितकारी प्रतीत हुई, वे ही बातें शास्त्रों के रूप से विश्व के विशाल प्राङ्गण में प्रकट की तथा अन्य अनावश्यक बातों को अपने विराट् अन्तः करण में समा ली थीं।
जब कि 'पाश्चात्य जगत् के वैज्ञानिकों में स्वार्थभावना नहीं है' ऐसा प्रमाणित करना सम्भवित नहीं है। अधिकांश वैज्ञानिकों में अपने नाम को अमर बनाने की तामसिक तृष्णा बनी ही रहती है। कुछ धन की लालसा से अथवा नोबल पुरस्कार के विजेता बनने की इच्छा से भी कार्य करते रहते हैं। . इससे इनमें परोपकार की वृत्ति वाले कोई नहीं हैं ऐसा हमारा अभिप्राय नहीं है, किन्तु परोपकारी वृत्ति वाले वैज्ञानिकों की संख्या अंगुलियों के पर्यों पर गिनी जा सके इतनी ही होगी।
आधुनिक वैज्ञानिक मान्यता
एवं विचारणीय प्रश्न साधारणतः आधुनिक वैज्ञानिकों की मान्यता नीचे लिखे अनुसार है
१-पृथ्वी अपनी धुरी पर १ घण्टे में एक हजार मील की गति से घूमती है।
२-पृथ्वी सूर्य के आसपास १ घण्टे में ६५००० मील को गति से घूमती है।
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