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________________ ( ४७२ ) अजमेर की सिफारश पर सेठ चाँदमल जी को श्रीमान् वायसराय महोदय लार्ड लिटन से 'राय साहिब' का खिताब, स्वर्णपदक और सार्टिफिकट दिया था जिस पर महाराणी विक्टोरिया का नाम अंकित था । सन् १८७८-७९ में काबुल का युद्ध आरंभ हुआ। पेशावर से परे लुन्डी, कोटल, जलालाबाद और काबुल के खजाने के साथ जिम्मेदार आदमियों को जाना जरूरी समझा गया, ऐसे नाजुक समय में सब ने किनारा काटा किन्तु सेठ चाँदमल जी के एजन्ट शिवनाथ ने अपने आदमी फौज के साथ भेजे और करीब करोड़ रुपये तक जरूरत के अनुसार खजाने से खर्च किये-इस सेवा से प्रसन्न होकर छोटे लाट साहेब पञ्जाब ने सेठ के एजन्ट को एक दुशाला और दुपट्टा खिल्लत सहित दिया। राजपूताने में सम्वत् १९२५ और १९३४ में घोर दुष्काल पड़े थे। इन अवसरों में आपने राजपूताने की गरीब प्रजा की बड़ी सहायता की थी। अजमेर की प्रजा सेठ चाँदमल जो से बड़ी प्रसन्न थो, इन पर उसका पूर्ण विश्वास था, कोई भी काम हो इनको कहा जाता था । एक दफ़ा का जिक्र है कि अजमेर म्युनिसीपल्टो ने नया बाजार की घाट को तोड़ने की आज्ञा दे दी थी-मजदूर लग गये थे, कुदाली से घाट तोड़ने ही वाले थे कि बाजार के कुछ भलेमानुष सेठ चाँदमल जी की हवेलो पर गये और कहने लगे कि घाट के टूट जाने से बाजार की रोनक बिगड़ जायगी और पानी पीने की दिक्कत हो जायगी हम तो आपको ही सर्वेसर्वा समझते हैं इसलिये आपके पास आये हैं, आपसे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034764
Book TitleBhagwan Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraraj Bhandari
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1925
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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