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________________ ( ४७१ ) इन्दौर, मेनिन और आजमगढ़ में दुकानें थीं, मध्यप्रदेश में जमीनदारी थी। ____सन् १८६८-६९ में मध्यप्रदेश और राजपूताने में अकाल पड़ा था। सेठ चन्दमल जी की इजाजत से सागर दुकान के मुनीम ने गरीबों और निराधारों की सहायता की थी। इसके उपलक्ष्य में चीफ कमीश्नर ने स्वर्णपदक प्रदान किया था। अजमेर में उस समय 'चेरीटेबल ग्रेन क्लब' और 'बूचर हाउस कमेटी' सर्व साधारण के लाभार्थ स्थापित की गई थी। कर्नल आर. एच. की टिनं, बी. सी. सी. एस. आई. ई. एजन्ट गवर्नर जनरल राजपूताना ने इनको कमेटी का मेम्बर बनाया। इस काम में इन्होंने बड़ी दिलचस्पी ली और आगरे से नाज मंगवा कर अजमेर में बाजार भाव से सस्ता बेचा, इस कमेटी की तरफ से भूखों को अन्न दिया जाता था और पर्दानशीन औरतों को जो बाहर नहीं निकल सकती थीं उनके घर पर नाज पहुँचाया जाता था। सन् १८७१ में अलमेवो ने पञ्जाब का दौरा किया था और पालनपुर फेअर में दरबार भरा । उस समय सेठ चाँदमल जी के मुनीम ने सरकार की अच्छी सेवा बजाई, जिसको देख कर श्रीमान् वाइसराय महोदय ने अपनो प्रसन्नता प्रकट की और मुनीम को दरबार में बैठक दी तथा सोने के कड़े (Bracelets) इनायत किये। सन् १८६८ में ये म्युनिसिपल कमिश्नर बनाये गये और १८७८ में इनको आनरेरी मजिस्ट्रेट दर्जा दोयम बनाया तथा सन् १८७७ में देहली दरबार भरा था उसमें सेठ चाँदमल जी को आमन्त्रित किया गया था । वहाँ श्रीमान् चीफ कमिभर साहब व कमिभर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034764
Book TitleBhagwan Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraraj Bhandari
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1925
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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