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________________ भगवान् महावीर १२४ नहीं, जिनके आधार पर हम दोनों में से एक. बात को दावे के साथ कह सकें । केवल. अनुमान बल पर हम इस पर कुछ विचार कर सकते हैं-यदिहम भगवान महावीर के जीवन को मनोवैज्ञानिक दृष्टि से अध्ययन करें और सूक्ष्म दृष्टि से देखें तो हमें कहना पड़ेगा कि भगवान् का विवाह होना ही अधिक सम्भव है । इस स्थान पर हम स्वयं अपनी ओर से कुछ न कह कर केवल एक दिगम्बरी विद्वान की सम्मति ही दे देना अधिक पसन्द करते है । उन महाशय ने बहुत अध्ययन के पश्चात् अपना निम्नांकित मत स्थिर किया है। ____“दिगम्बर धर्मशास्त्र इस बात को स्वीकार नहीं करते कि, भगवान् महावीर ने विवाह किया था। वे उनको बाल ब्रह्मचारी मानते हैं । पर इस बात की पुष्टि के लिये उनके पास कोई आगमसिद्ध प्रमाण नहीं । हमारे चौबीस तीर्थकरों में चाहे जिस तीर्थकर को देखिये ( एक दो को छोड़ कर ) आप गृहस्थ हो पायंगे । ऋषभनाथ स्वामी के तो कई पुत्र थे। इसके अतिरिक्त हमारे पास इस बात का कोई सबल प्रमाण भी नहीं कि जिसके द्वारा हम महावीर को ब्रह्मचारी सिद्ध कर सकें। भगवान महावीर के जीवन सम्बन्धी ग्रन्थों में कल्पसूत्र अपेक्षाकृत अधिक पुराना है, अतः उसके कथन का प्रमाणभूत होना अधिक सम्भव है इसके सिवाय और एक ऐसा कारण है जिससे उनके विवाह का होना सम्भवनीय हो सकता है।" “यह बात निर्विवाद है कि भगवान महावीर अपने मातापिता के बहुत ही : प्रिय पुत्र थे। वे स्वयं भी माता-पिता और भाई पर अगाध श्रद्धा रखते थे। यहां तक कि उन्होंने अपने भाई Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034764
Book TitleBhagwan Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraraj Bhandari
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1925
Total Pages488
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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